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योगयुक्तो विशुद्धात्मा विजितात्मा जितेन्द्रियः । सर्वभूतात्मभूतात्मा कुर्वन्नपि न लिप्यते ।।

योगयुक्तो विशुद्धात्मा विजितात्मा जितेन्द्रियः । सर्वभूतात्मभूतात्मा कुर्वन्नपि न लिप्यते ।। जो भक्तिभाव से कर्म करता है, जो विशुद्ध आत्मा है और अपने मन तथा, इन्द्रियों को वश में रखता है, वह सभी को प्रिय

Janmashtami- Birth of Lord Krishna

“A person can rise through the efforts of his own mind; or draw himself down, in the same manner. Because each person is his own friend or enemy.”-Bhagavad Gita Lord Krishna was an important

Jai Shri Krishna

जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च। तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि । । २. २७ । जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु भी निश्चित है. इसलिए जो होना हीं है उस पर शोक मत

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