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हरे कृष्णा

रुद्राणां शङ्करश्चास्मि वित्तेशो यक्षरक्षसाम्। वसूनां पावकश्चास्मि मेरुः शिखरिणामहम् ॥ रुद्रों में मुझे शंकर जानो, यक्षों में मैं कुबेर हूँ, वसुओं में मैं अग्नि हूँ और पर्वतों में मेरु हूँ।   #jaishreekrishna #krishna #harekrishna #krishnaji

योगयुक्तो विशुद्धात्मा विजितात्मा जितेन्द्रियः । सर्वभूतात्मभूतात्मा कुर्वन्नपि न लिप्यते ।।

योगयुक्तो विशुद्धात्मा विजितात्मा जितेन्द्रियः । सर्वभूतात्मभूतात्मा कुर्वन्नपि न लिप्यते ।। जो भक्तिभाव से कर्म करता है, जो विशुद्ध आत्मा है और अपने मन तथा, इन्द्रियों को वश में रखता है, वह सभी को प्रिय

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