नवरात्रि के ख़त्म होने के बाद आती है विजयादशमी। विजयादशमी बुराई पर अच्छाई एवं अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। तभी से लोग हर साल लोग आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को दशहरे के रूप में मनाते हैं। इस दिन को मनाने के पीछे एक और पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि इस दिन माँ दुर्गा ने चंडी का रूप धारण कर महिषासुर का वध किया था और महिषासुरमर्दिनि कहलायी थी। कहा जाता है कि महिषासुर और उसकी सेना ने जब देवताओं को अत्यधिक परेशान कर दिया था तब माँ दुर्गा ने नौ दिन तक महिषासुर के साथ युद्ध किया था और दसवें दिन उसका वध कर दिया था। तब से यह विजयादशमी मानने कि परंपरा शुरू हो गयी। बता दें कि जब श्री राम रावण से युद्ध करने कि तैयारी कर रहे थे तब उन्होंने माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा नौ दिन तक की थी। और दसवें दिन रावण को युद्ध में हरा कर विजय प्राप्त की थी। इस कारण लोग बड़े ही हर्षोलास से विजयादशमी मानते हैं और रावण का पुतला दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत का सन्देश देते हैं।