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Jai Shri Krishna

जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च। तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि । । २. २७ । जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु भी निश्चित है. इसलिए जो होना हीं है उस पर शोक मत

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