Navratri Day 7 :- 21 October
माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के रूप में जानी जाती है। नवरात्री के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी के इस रूप की पूजा करने से दुष्टों का विनाश होता है। मां के इस स्वरूप को वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है। कालरात्रि देवी का शरीर रात के अंधकार की तरह काला है। गले में विद्युत की माला और बाल बिखरे हुए हैं। मां के चार हाथ हैं, जिनमें से एक हाथ में गंडासा और एक हाथ में वज्र है। इसके अलावा, मां के दो हाथ क्रमश: वरमुद्रा और अभय मुद्रा में हैं। इनका वाहन गर्दभ (गधा) है।
कालरात्रि ध्यान मंत्र :-
करालवदनां घोरांमुक्तकेशीं चतुर्भुताम्।
कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युत्मालाविभूषिताम्॥
अर्थात :-
माँ का रूप कालरूपी है जो बहुत ही भीषण है। बाल खुले व बिखरे हुए हैं और साथ ही माँ की चार भुजाएं हैं। नाम कालरात्रि है जो अत्यंत ही प्रचंड रूप लिए हुए है। वहीं आपका यह रूप दिव्य शक्ति लिए हुए है। आपने अपने गले में विद्युत् जैसी चमकती माला पहनी हुई है।