Navratri Day 6 :- 20 October
माँ कात्यायनी माता दुर्गा के नौ रूपों में से छठा स्वरुप है। माता ने यह रूप अपने भक्त ऋषि कात्यायन के लिए धारण किया था। उन्होंने ऋषि कात्यायन के घर बेटी के रूप में जन्म लिया था इसलिए उनका नाम माँ कात्यायनी पड़ा। माता कात्यायनी का शरीर सोने की तरह सुनहरा और चमकदार है। यह सिंह की सवारी करती हैं और इनकी 4 भुजाएं हैं। दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। बाईं तरफ का ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले में कमल का फूल है। कहते हैं जो व्यक्ति सच्चे मन से माता की अराधना करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
माँ कात्यायनी ध्यान मंत्र :-
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृतशेखराम्।
सिंहारूढ चतुर्भुजाकात्यायनी यशस्वनीम्॥
अर्थात :-
मैं मनोवांछित लाभ प्राप्त करने के लिए, सभी तरह के मनोरथों को पूरा करने वाली, सिंह की सवारी करने वाली, चार भुजाओं वाली और यश प्रदान करने वाली माँ कात्यायनी की हम वंदना करते है।