Navratri Day 4 : 19 October
नवरात्रि का पांचवें दिन स्कंदमाता को समर्पित है। इस दिन दुर्गा माँ के पांचवें स्वरुप माँ स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है। भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय को स्कंद के नाम से भी जाना जाता है। भगवान स्कंद को माता पार्वती ने प्रशिक्षित किया था, इसलिए मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता कहते हैं। माता की गोद में स्कंद बालस्वरूप में विराजित है। स्कंदमाता के रूप में माँ का स्वरुप अति मनमोहक है। अपनी दाईं ओर की भुजा से देवी स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं और नीचे भुजा में कमल का फूल है. बाईं ओर ऊपर की भुजा वरदमुद्रा में है और नीचे भुजा में भी कमल का फूल है। माता सिंह पर विराजमान होती है।
स्कंदमाता ध्यान मंत्र :-
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्वनीम्॥
अर्थात :-
मनोवांछित लाभ प्राप्त करने के लिए, सभी तरह के मनोरथों को पूरा करने वाली, सिंह की सवारी करने वाली, चार भुजाओं वाली और यश प्रदान करने वाली स्कंदमाता की हम वंदना करते हैं।