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Navratri Day 4: Mata Kushmanda Mantra

Maa Kushmanda

Maa Kushmanda

Navratri Day 4 : 18 October

नवरात्र के चौथे दिन दुर्गाजी के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा और अर्चना की जाती है। माना जाता है कि सृष्टि की उत्पत्ति से पूर्व जब चारों ओर अंधकार था और कोई भी जीव जंतु नहीं था तो मां दुर्गा ने इस अंड यानी ब्रह्मांड की रचना की थी। इसी कारण उन्हें कूष्मांडा कहा जाता है। माँ कुष्मांडा के आठ भुजाएं हैं, इसलिए ये अष्टभुजा कहलाईं। इनके सात हाथों में कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। पराणिक कथाओं के अनुसार मां कुष्मांडा का जन्म दैत्यों का संहार करने के लिए हुआ था। कुष्मांडा का अर्थ कुम्हड़ा होता है। कुम्हड़े को कुष्मांड कहा जाता है इसीलिए मां दुर्गा के चौथे स्वरूप का नाम कुष्मांडा रखा गया है ।

माँ कुष्मांडा उपासना मंत्र :-

वन्दे वाछित कामर्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
सिंहरूढा अष्टभुजा कुष्माण्डायशस्वीनाम्।।

अर्थात :-

मनोवांछित लाभ प्राप्त करने के लिए, सिंह की सवारी करने वाली, आठ भुजाओं वाली कुष्मांडा माँ की हम वंदना करते हैं।

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