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ख्वाहिश नहीं मुझे मशहूर होने की – मुंशी प्रेमचंद या हरिवंशराय बच्चन

ख्वाहिश नहीं मुझे मशहूर होने की – मुंशी प्रेमचंद या हरिवंशराय बच्चन

ख्वाहिश नहीं मुझे,
मशहूर होने की,
आप मुझे पहचानते हो,
बस इतना ही काफी है,
अच्छे ने अच्छा,
और बुरे ने बुरा जाना मुझे,
क्योंकि जिसको जितनी जरूरत थी,
उसने उतना ही पहचाना मुझे,
जिंदगी की फलसफा भी,
कितनी अजीब है,
शामें कटती नहीं,
और साल गुजरते चले जा रहे हैं,
एक अजीब सी,
दौड़ है ये ज़िंदगी,
जीत जाओ तो कई,
अपने पीछे छूट जाते हैं,
और हार जाओ तो,
अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं,
बैठ जाता हूं,
मिट्टी पर अक्सर, क्योंकि मुझे अपनी,
औकात अच्छी लगती है

क्या आपको पता है इस कविता के लेखक का नाम ?

इस कविता को जब हमने इंटरनेट पर सर्च किया तो कुछ लोगों का कहना था कि यह मुंशी प्रेमचंद जी के द्वारा लिखा गया है और कुछ लोगों का कहना है कि यह कविता हरिवंश राय बच्चन जी के द्वारा लिखा हुआ है और किसी वीडियो के कमेंट में तो मिर्ज़ा ग़ालिब का भी जिक्र किया गया है और किसी ने कमेंट में यह भी कहा है की मुंशी प्रेमचंद जी कविता लिखते ही नहीं थे और और कुछ लोगों का कहना है कि यह इंटरनेट का एक बड़ा सवाल है क्योंकि इसका कोई पुष्टि नहीं कर रहा है कि इस कविता का लेखक कौन है ।

आपकी क्या राय है

 


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